Omkar the Elephant Wreaks Havoc in Goa

Omkar the Elephant Wreaks Havoc in Goa: गोवा में ओमकार हाथी से दहशत, दशहरा बाद होगी कार्रवाई

Omkar the elephant wreaks havoc in Goa – गोवा के शांत गांवों में पिछले कई दिनों से 10 वर्षीय जंगली हाथी ओमकार तबाही मचा रहा है। इस हाथी ने धान, नारियल, सुपारी और केले की फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान और ग्रामीण लगातार दहशत में जी रहे हैं।

महाराष्ट्र से बिछड़कर गोवा पहुंचा ओमकार

ओमकार पहले महाराष्ट्र के तिलारी जंगल में रहने वाले पांच हाथियों के झुंड का हिस्सा था। लेकिन अपने झुंड से बिछड़कर वह गोवा के परनेम तालुका के ताम्बोसे, मोंपा और तोर्से गांवों में भटक गया।
यहां आते ही उसने तैयार खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया।

ताम्बोसे गांव मनोहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मोंपा के पास है, जिससे ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है। उनका कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो ओमकार एयरपोर्ट के आस-पास भी खतरा बन सकता है।

गांव के पंचायत सदस्य दयानंद गवंडी बताते हैं – “गांव और खेतों के बीच केवल एक छोटी नदी है। यह हमारे लिए लक्ष्मण रेखा की तरह है, लेकिन डर है कि ओमकार कभी भी इसे पार कर सकता है।”

किसानों की हालत खराब

धान की कटाई का समय चल रहा है, लेकिन ओमकार लगातार खेतों को रौंद रहा है। किसान अपनी मेहनत को बर्बाद होते देख लाचार हैं। कई लोग रात में खेतों में जाने से डरते हैं क्योंकि हाथी से आमना-सामना होने का खतरा है।

ग्रामीणों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो ओमकार फसल के बाद घरों में भी घुस सकता है।

वन विभाग की निगरानी

गोवा वन विभाग ने गांव की सीमा पर कैंप लगाया है और हाथी की हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है। वन्यजीव संरक्षक नवीन कुमार ने कहा कि ओमकार का अपने परिवार से संपर्क टूटने की वजह से वह भटक गया है।

उन्होंने बताया कि हाथी के झुंड में गणेश, बाहुबली और तीन छोटे बच्चे शामिल हैं, जो महाराष्ट्र के डोडामार्ग जंगलों में देखे गए हैं। “अगर ओमकार को उसके परिवार से मिलाया जाए तो समस्या खुद-ब-खुद हल हो सकती है। इसके लिए कर्नाटक के वन अधिकारियों से मदद ली जा रही है,” कुमार ने कहा।

कर्नाटक की मदद दशहरा बाद

गोवा के वन मंत्री विश्वजीत राणे ने हाल ही में कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खांड्रे से मुलाकात की। दोनों राज्यों ने मिलकर तय किया कि ओमकार को पकड़कर कर्नाटक के पुनर्वास शिविर में भेजा जाएगा।

हालांकि खांड्रे ने साफ किया कि यह कार्रवाई दशहरा महोत्सव के बाद ही होगी। “कर्नाटक वन विभाग के पास हाथियों को सुरक्षित पकड़ने की विशेषज्ञ टीम है। दशहरा खत्म होते ही हमारी टीम गोवा जाएगी और ओमकार को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा,” उन्होंने कहा।

अन्य हाथियों को भी शिफ्ट करने की योजना

सिंधुदुर्ग के सावंतवाड़ी विधायक दीपक केसरकर ने बताया कि सिर्फ ओमकार ही नहीं, बल्कि डोडामार्ग इलाके में घूम रहे सभी हाथियों को पकड़कर वंतारा प्रोजेक्ट में ले जाने का प्रस्ताव है।

ग्रामीणों में बढ़ रहा डर

ताम्बोसे के लोग बीते कई दिनों से लगातार डर में जी रहे हैं। रात होते ही पेड़ों के टूटने और फसलों के रौंदे जाने की आवाजें उन्हें बेचैन कर देती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजते वक्त भी डर लगता है कि कहीं हाथी रास्ते में न मिल जाए।

एक किसान ने कहा – “हम वन्यजीव का सम्मान करते हैं, लेकिन ओमकार हमारी जिंदगी और रोज़गार दोनों खतरे में डाल रहा है। जब तक उसे कहीं और नहीं ले जाया जाता, चैन की सांस लेना मुश्किल है।”

ओमकार से जुड़ी घटनाओं की टाइमलाइन

तारीख / समयघटनास्थान
शुरुआती सितम्बर 2025ओमकार झुंड से अलग हुआमहाराष्ट्र-गोवा सीमा
मध्य सितम्बर 2025परनेम तालुका में दाखिल हुआताम्बोसे, मोंपा, तोर्से
18–21 सितम्बरलगातार फसल नुकसानधान, केला, नारियल के खेत
21 सितम्बरग्रामीणों ने सरकार से मदद मांगीपरनेम
22 सितम्बरगोवा व कर्नाटक मंत्रियों की बैठकबेंगलुरु
दशहरा बादओमकार की पकड़ और पुनर्वास योजनाकर्नाटक कैंप

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इंसान और वन्यजीव का संघर्ष

विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के लगातार घटने और विकास परियोजनाओं के कारण हाथियों को इंसानी बस्तियों में जाना पड़ रहा है। यही वजह है कि महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में इंसान-हाथी टकराव बढ़ता जा रहा है।

वन मंत्री राणे ने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान तीनों राज्यों की साझा रणनीति से ही संभव है। “सामूहिक प्रयास से ही ग्रामीणों और वन्यजीवों की सुरक्षा की जा सकती है,” उन्होंने कहा।

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राहत की उम्मीद दशहरा बाद

फिलहाल ग्रामीणों को राहत का इंतज़ार है। सबकी निगाहें दशहरा के बाद कर्नाटक की टीम पर टिकी हैं, जो ओमकार को सुरक्षित पकड़कर पुनर्वास शिविर ले जाएगी।

ओमकार की कहानी – Omkar the elephant wreaks havoc in Goa – इंसान और प्रकृति के बीच नाज़ुक संतुलन की याद दिलाती है। यह दिखाती है कि समय पर कदम और बेहतर तालमेल ही ऐसे संघर्षों को रोक सकते हैं।

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