Mahadevi Elephant Vantara को लेकर जारी विवाद ने न केवल श्रद्धालुओं बल्कि राजनीतिक नेताओं में भी गहरी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। अब भाजपा विधायक शशिकला जोल्ले ने इस मुद्दे पर खुलकर श्रद्धालुओं का समर्थन किया है, जो यह मांग कर रहे हैं कि मथ की हाथी माधुरी (महादेवी) को वंतारा वाइल्डलाइफ सेंटर, जामनगर भेजे जाने का आदेश रद्द किया जाए।
सोमवार को शशिकला जोल्ले महाराष्ट्र के नंदनी स्थित जैन मठ पहुंचीं, जहां उन्होंने श्रद्धालुओं और मठाधीश श्री जिनसेन भट्टारक स्वामी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि माधुरी सिर्फ एक जानवर नहीं है, बल्कि मठ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। बेलगावी जिले के निप्पाणी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली शशिकला जोल्ले ने श्रद्धालुओं को आश्वस्त किया कि वे केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर इस स्थानांतरण आदेश को रद्द कराने की पूरी कोशिश करेंगी।
जैन मठ में श्रद्धालुओं के साथ जोल्ले की बैठक
शशिकला जोल्ले ने मठ में श्री जिनसेन भट्टारक स्वामी से विस्तार से चर्चा की और श्रद्धालुओं की भावनाओं को गहराई से समझा। उन्होंने कहा कि माधुरी (महादेवी) मठ के लिए केवल एक हाथी नहीं है, बल्कि एक आस्था और परंपरा का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से श्रद्धालुओं के दिलों से जुड़ी हुई है।
मीडिया से बातचीत में जोल्ले ने कहा, “मैं श्रद्धालुओं की भावनाओं से पूरी तरह सहमत हूं। उनके लिए माधुरी केवल एक हाथी नहीं बल्कि एक दिव्य प्रतीक है, जो उनकी धार्मिक परंपरा का हिस्सा रही है। मैं केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग करूंगी ताकि महादेवी को उसके मठ में वापस लाया जा सके।”
Mahadevi Elephant Vantara विवाद की शुरुआत
यह विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र प्रशासन ने बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर माधुरी हाथी को नंदनी मठ से जामनगर स्थित वंतारा वाइल्डलाइफ सेंटर स्थानांतरित कर दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत में आरोप लगाया था कि मठ में हाथी की देखभाल सही तरीके से नहीं हो रही थी और उसे अकेलेपन में रखा गया था, जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा था।
इन्हीं आधारों पर अदालत ने हाथी के वंतारा स्थानांतरण का आदेश दिया, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित एक अत्याधुनिक वन्यजीव पुनर्वास केंद्र है। हालांकि, इस फैसले का जैन समाज और स्थानीय श्रद्धालुओं ने कड़ा विरोध किया, उनका कहना है कि हाथी की देखभाल हमेशा समुचित तरीके से की गई है और यह मठ की धार्मिक परंपरा का हिस्सा है।
श्रद्धालुओं का पदयात्रा और विरोध प्रदर्शन
Mahadevi Elephant Vantara विवाद के चलते श्रद्धालुओं ने कई जगह विरोध प्रदर्शन और पदयात्राएं शुरू कर दी हैं। शनिवार को बेलगावी जिले के ऐनापुर से शिवमोग्गा के पद्मावती मंदिर तक जैन समाज के लोगों ने पदयात्रा शुरू की। उनकी मुख्य मांग है कि महादेवी हाथी को तुरंत नंदनी जैन मठ वापस लाया जाए।
इसके अलावा रविवार को कोल्हापुर में भी जैन समाज के श्रद्धालुओं ने एक मौन रैली निकाली, जिसमें उन्होंने हाथी के स्थानांतरण आदेश का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मठ में हाथी की पूरी देखभाल की जाती थी और उसके प्रति किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई थी। उनके अनुसार महादेवी का मठ से संबंध आस्था और परंपरा का सवाल है, जिसे कानूनी फैसलों से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
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राजनीतिक रंग लेता Mahadevi Elephant Vantara विवाद
अब यह मामला राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। शशिकला जोल्ले जैसी वरिष्ठ नेता के समर्थन से इस मुद्दे को नई गति मिल गई है। उनके केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखने की घोषणा से यह विवाद और गंभीर होता नजर आ रहा है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक विरासत और वन्यजीव संरक्षण के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की बड़ी चुनौती बन सकता है।
वहीं प्रशासन का कहना है कि उन्होंने अदालत के आदेश के अनुसार हाथी के स्वास्थ्य और देखभाल को प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया है। लेकिन दूसरी ओर श्रद्धालु इस बात पर अडिग हैं कि महादेवी हाथी का मठ में रहना उनकी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है, जिसे किसी भी हालत में नहीं तोड़ा जा सकता।
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निष्कर्ष: महादेवी हाथी और श्रद्धालुओं का अटूट संबंध
Mahadevi Elephant Vantara विवाद सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा से जुड़ा गहरा भावनात्मक विषय बन चुका है। नंदनी जैन मठ के श्रद्धालुओं के लिए महादेवी केवल एक हाथी नहीं बल्कि उनकी पीढ़ियों की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए महादेवी हाथी को वापस मठ लाने का कोई रास्ता निकाला जाता है।