Lavkush Vatika Jalore

Lavkush Vatika Jalore: अब भालुओं और झरनों का दीदार सशुल्क, जानिए सुंधा कंजर्वेशन रिजर्व के नए नियम

Lavkush Vatika Jalore और उसके आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए अब एक नई व्यवस्था लागू की गई है। अब अगर आप सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र, खासकर खोड़ेश्वर वन क्षेत्र और आसपास के झरनों तथा भालू बहुल क्षेत्रों का भ्रमण करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक निर्धारित शुल्क चुकाना होगा।

Lavkush Vatika

पर्यावरण सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम

राजस्थान के जालोर जिले में स्थित सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक महत्व और जैव विविधता के कारण विशेष पहचान रखता है। यह क्षेत्र न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है। यहां मौजूद भालुओं, झरनों और हरे-भरे जंगलों की सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब इस क्षेत्र में प्रवेश सशुल्क होगा।

टिकट के बिना प्रवेश पर होगी कानूनी कार्रवाई

वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि बिना टिकट कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में प्रवेश करने वालों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कानून भारत में वन्य जीवों और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू है।

इस निर्णय का मकसद है कि लोग अधिक जिम्मेदारी के साथ इस क्षेत्र में जाएं, और वहां की स्वच्छता और जैव विविधता को नुकसान न पहुंचाएं।

Lavkush Vatika Jalore और अन्य दर्शनीय स्थल

इस कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में स्थित Lavkush Vatika Jalore एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है। यह वाटिका प्रकृति प्रेमियों, बच्चों और फोटोग्राफरों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां हरे-भरे पेड़, प्राकृतिक झरने, पक्षियों की चहचहाहट और जंगल के बीच बना शांत वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है।

Lavkush Vatika Jalore की सुंदरता और वन क्षेत्र के बीच इसकी स्थिति इसे एक आदर्श इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाती है।

भ्रमण का समय और दिशा-निर्देश

पर्यटक अब सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक इस क्षेत्र में भ्रमण कर सकते हैं। यह समय इसलिए निर्धारित किया गया है ताकि दिन के उजाले में भ्रमण हो और वन्य जीवों को रात के समय शांत वातावरण मिल सके।

वन विभाग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि:

  • प्लास्टिक, पॉलीथिन, सिंगल यूज़ प्लास्टिक और प्लास्टिक की बोतलों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
  • शराब ले जाना या सेवन करना पूर्णतया प्रतिबंधित है।
  • क्षेत्र की सफाई बनाए रखना हर आगंतुक की जिम्मेदारी होगी।

टिकट शुल्क और रियायतें

वन विभाग ने भारतीय नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग शुल्क तय किए हैं। हालांकि, विद्यार्थियों और विशेष योग्यजन के लिए भ्रमण निशुल्क रखा गया है ताकि शैक्षिक और सामाजिक दृष्टि से सभी को प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिल सके।

इस नीति का उद्देश्य केवल राजस्व अर्जन नहीं है, बल्कि इससे प्राप्त राशि को क्षेत्र की देखरेख, सुरक्षा और स्वच्छता पर खर्च किया जाएगा।

भालू बहुल क्षेत्र की विशेष पहचान

सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व विशेष रूप से भालुओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में घना वन और शांत वातावरण भालुओं के लिए उपयुक्त निवास प्रदान करता है। बरसात के मौसम में जब झरने बहने लगते हैं, तो यहां की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं।

ईको-टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईको-टूरिज्म की यह पहल एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है। अब जब Lavkush Vatika Jalore और अन्य क्षेत्र सशुल्क होंगे, तो पर्यटक अधिक जिम्मेदारी के साथ भ्रमण करेंगे और क्षेत्र को स्वच्छ रखने में योगदान देंगे।

वन विभाग का कहना है कि यह निर्णय केवल एक शुल्क लागू करने का नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति लोगों की सोच बदलने की दिशा में एक कदम है।

9 जुलाई से लागू होगी व्यवस्था

मुख्यालय से जारी आदेश के अनुसार 9 जुलाई से यह नई प्रणाली लागू की गई है। अब जो भी पर्यटक खोड़ेश्वर महादेव मंदिर, झरनों, या Lavkush Vatika Jalore की ओर जाएंगे, उन्हें निर्धारित शुल्क चुकाना होगा।

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निष्कर्ष

अगर आप भी प्रकृति की गोद में कुछ शांत और दिव्य समय बिताना चाहते हैं, तो Lavkush Vatika Jalore और सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व आपका इंतजार कर रहे हैं। लेकिन याद रखें, अब इस सौंदर्य का दीदार करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी होगा। यह बदलाव हमें याद दिलाता है कि प्रकृति का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना हर पर्यटक की जिम्मेदारी है।

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