Forest department salutes the valor of the army

Forest department salutes the valor of the army: ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर गोडावण के नवजातों का नामकरण

Forest department salutes the valor of the army-इसी भावना के साथ राजस्थान वन विभाग ने मई 2025 में जन्मे चार ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के बच्चों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके वीरों के नाम पर नई पहचान दी है। यह पहल देशभक्ति और पक्षी संरक्षण, दोनों को जोड़ती है और रेगिस्तान में एक प्रेरक संदेश छोड़ती है।

थार की रेत में अनोखी पहल

राजस्थान की तपती रेत इस बार एक अनोखे उत्सव की गवाही दे रही है। गोडावण के इन चार नवजातों को—सिंदूर, व्योम, मिश्री और सोफिया—ऐसे नाम मिले हैं, जो भारतीय सेना के शौर्य का प्रतीक हैं। वन विभाग का यह कदम न सिर्फ जैविक विविधता बचाने की दिशा में अहम है, बल्कि देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीरों को भी अनूठी श्रद्धांजलि देता है।

Forest department salutes the valor of the army: ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए। यह सर्जिकल स्ट्राइक, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का करारा जवाब थी। “ऑपरेशन सिंदूर” नामक इस कार्रवाई ने दुनिया भर में भारत की ताकत और संकल्प का संदेश पहुँचाया। उसी शौर्य की स्मृति में इन नन्हे गोडावणों को नाम दिए गए हैं।

विलुप्ति के कगार पर भारत के गौरव-गोडावण

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कभी पूरे भारत के घास के मैदानों में दिखता था, मगर अब इसकी कुल संख्या 150 से भी कम रह गई है, जिनमें ज़्यादातर राजस्थान में हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह पक्षी बेहद संकटग्रस्त श्रेणी में सूचीबद्ध है। ऐसे में हर नया जन्म इस प्रजाति के लिए उम्मीद की किरण है।

अत्याधुनिक तकनीक से संरक्षण केंद्रों में परवरिश

जैसलमेर के ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण केंद्र में वर्ष 2025 के दौरान अब तक 21 चूजे जन्मे हैं। इन नवजातों की देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है—तापमान-नियंत्रित इन्क्यूबेटर, सेंसर्स और हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे 24×7 निगरानी सुनिश्चित करते हैं, ताकि किसी भी खतरे को तुरंत टाला जा सके।

जंगल में लौटने की तैयारी

चूजों को पहले सेमी-नेचुरल एनक्लोज़र में रखा जाता है, जहाँ वे धीरे-धीरे प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप ढलते हैं। लक्ष्य यह है कि ये पक्षी जल्द ही खुले रेगिस्तान में आज़ाद उड़ान भरें और वहीं स्वाभाविक रूप से प्रजनन करें—यह भारत की वन्यजीव संरक्षण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।

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‘प्रोजेक्ट गोडावण’ की अगली मंज़िल

साल 2018 में शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट गोडावण’—पर्यावरण मंत्रालय, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और राजस्थान वन विभाग का संयुक्त उपक्रम—आज सुदासरी और सम स्थित केंद्रों में चल रहा है। परियोजना अधिकारी ब्रिजमोहन गुप्ता के मुताबिक, अब सबसे बड़ा लक्ष्य शिशु मृत्यु दर घटाकर चूजों के जीवित रहने की दर को बढ़ाना है, ताकि गोडावण की संख्या धीरे-धीरे फिर से बढ़ सके।

इस प्रकार, Forest department salutes the valor of the army केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक ऐसी कहानी है जो भारतीय सेना के शौर्य और गोडावण संरक्षण की साझा भावना को एक सूत्र में बाँधती है। जब भी ये नन्हे गोडावण खुले आसमान में पंख फैलाएँगे, वे वीर सैनिकों की वीरगाथा और भारत की जैविक धरोहर—दोनों का गौरव साथ लेकर उड़ेंगे।

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