Bannerghatta Biological Park

Bannerghatta Biological Park से चार एशियाई हाथियों की ऐतिहासिक यात्रा जापान तक

Bannerghatta Biological Park ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने चार एशियाई हाथियों को जापान के हिमेजी सेंट्रल सफारी पार्क तक सफलतापूर्वक भेजा है। यह न सिर्फ इस जैविक उद्यान की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मज़बूती देता है, बल्कि भारत और जापान के बीच पशु संरक्षण और आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग की एक मिसाल भी पेश करता है।

महीनों की तैयारी के बाद शुरू हुआ हवाई सफर

बेंगलुरु स्थित Bannerghatta Biological Park से चार हाथी – सुरेश (8 वर्ष), गौरी (9 वर्ष), श्रुति (7 वर्ष) और तुलसी (5 वर्ष) – विशेष प्रशिक्षण और देखरेख के बाद जापान के लिए रवाना किए गए। यह पहली बार था जब इस पार्क ने किसी अंतरराष्ट्रीय पशु स्थानांतरण अभियान में हिस्सा लिया। विशेषज्ञों की एक विशेष टीम ने महीनों तक हाथियों को मानसिक और शारीरिक रूप से यात्रा के लिए तैयार किया, ताकि अंतरराष्ट्रीय सफर के दौरान उन्हें कोई परेशानी न हो।

20 घंटे की लंबी और संवेदनशील यात्रा

24 और 25 जुलाई 2025 को इन हाथियों को कतर एयरवेज कार्गो के बोइंग 777-200F विमान के ज़रिए बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जापान के ओसाका स्थित कंसाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंचाया गया। जमीनी सफर और हवाई यात्रा मिलाकर कुल 20 घंटे की यह लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा थी। इस दौरान हाथियों की पूरी सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित की गई। उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ भेजा गया और सभी मानकों का कड़ाई से पालन किया गया।

विशेषज्ञों की टीम भी पहुंची साथ

हाथियों की इस अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए Bannerghatta Biological Park से कुल आठ अनुभवी सदस्य जापान भेजे गए। इस टीम में दो पशु चिकित्सक, चार प्रशिक्षित महावत, एक जीवविज्ञानी और एक पर्यवेक्षक शामिल थे। यह टीम जापान के हिमेजी सेंट्रल पार्क में अगले दो सप्ताह तक रहेगी ताकि हाथियों को नए वातावरण में ढलने में सहायता मिल सके।

हाथियों के आदान-प्रदान का बड़ा समझौता

इस आदान-प्रदान की योजना सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा किए गए एक विशेष पशु विनिमय समझौते के अंतर्गत बनाई गई है। इसके तहत भारत की ओर से चार हाथी जापान भेजे गए हैं और इसके बदले में Bannerghatta Biological Park को विभिन्न विदेशी प्रजातियों के जानवर मिलेंगे। इनमें चार चीते, चार जगुआर, चार प्यूमा, तीन चिंपैंजी और आठ ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर शामिल हैं। यह विनिमय न सिर्फ जैव विविधता बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि दर्शकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।

पूर्व तैयारी के तहत जापानी टीम का भारत दौरा

हाथियों के जापान पहुंचने से पहले वहां के हाथीपालकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया था। मई 2025 में हिमेजी सेंट्रल पार्क की एक टीम ने Bannerghatta Biological Park में आकर 20 दिनों तक हाथियों की देखभाल, उनकी दिनचर्या और व्यवहारिक जरूरतों को समझने के लिए प्रशिक्षण लिया था। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि हाथियों को नए वातावरण में कोई परेशानी न हो और वे जापान के वातावरण में आसानी से सामंजस्य बिठा सकें।

भारत-जापान के बीच दूसरा ऐतिहासिक हाथी स्थानांतरण

यह दूसरी बार है जब भारत से हाथियों को जापान भेजा गया है। इससे पहले मई 2021 में मैसूर चिड़ियाघर से तीन हाथियों को तोयोहाशी जू और बॉटनिकल पार्क भेजा गया था। लेकिन इस बार का स्थानांतरण और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह Bannerghatta Biological Park की पहली अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है।

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हाथियों की सुरक्षा और संवेदनशीलता सर्वोपरि

Bannerghatta Biological Park अपने पशुओं की सुरक्षा और कल्याण को सर्वोपरि रखता है। इस मिशन में हाथियों के स्वास्थ्य, आहार, मनोवैज्ञानिक स्थिति और यात्रा के दौरान उनकी शारीरिक गतिविधियों का विशेष ध्यान रखा गया। विशेषज्ञों ने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें हर संभव सुविधा और आराम मिल सके।

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निष्कर्ष

चार एशियाई हाथियों की यह अंतरराष्ट्रीय यात्रा न केवल Bannerghatta Biological Park के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, बल्कि यह भारत के वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन की अंतरराष्ट्रीय सराहना का भी प्रतीक है। इस तरह की पहलों से न केवल दो देशों के बीच सांस्कृतिक और जैविक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर पशु संरक्षण की दिशा में भी मजबूत कदम उठाए जाते हैं।

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