Anti-Snare Campaign on the Occasion of Hosatodaku at Bannerghatta National Park: A Major Step Towards Wildlife Protection

Anti-Snare Campaign: बन्नरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान (Bannerghatta National Park) में उगादी के बाद मनाए जाने वाले ‘होसतोडकु’ उत्सव के दौरान वन्यजीव संरक्षण के लिए एंटी-स्नेयर अभियान चलाया गया। यह अभियान ए रोचा इंडिया (A Rocha India) और अन्य गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से आयोजित किया गया।

होसतोडकु, जिसका अर्थ है “नई शुरुआत”, पारंपरिक रूप से शिकार की प्रवृत्ति से जुड़ा हुआ है। ऐसे में बन्नरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान ने वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को एक विशेष अभियान चलाया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य स्थानीय समुदायों को यह संदेश देना था कि क्षेत्र में सक्रिय निगरानी और गश्त हो रही है, जिससे अवैध शिकार की घटनाओं को रोका जा सके।

15 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने चलाया तलाशी अभियान

करीब 15 सदस्यों की टीम, जिसमें वन विभाग (Forest Department) के अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ शामिल थे, ने बन्नरघट्टा क्षेत्र में गहन तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान केवल एक छोटा फंदा (स्नेयर) मिला, जिसे सामान्यतः खरगोश जैसे छोटे जानवरों को पकड़ने के लिए लगाया जाता है।

छोटे फंदे भी बड़े खतरों का कारण

वन्यजीव सलाहकार शरत बाबू ने बताया, “भले ही ये फंदे छोटे जानवरों के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन कई बार इनमें सियार (Jackal) और तेंदुए (Leopard) जैसे बड़े वन्यजीव भी फंस जाते हैं।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले महीने तमिलनाडु सीमा के पास चलाए गए अभियान में कई ऐसे फंदे मिले थे।

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संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान

ए रोचा इंडिया के सीईओ और संरक्षण निदेशक अविनाश कृष्णन ने जानकारी दी कि अभियान के दौरान विशेष रूप से उन क्षेत्रों को कवर किया गया, जिन्हें शिकार के लिए संवेदनशील माना जाता है। उन्होंने कहा, “हालांकि यह अभियान हमारे नियमित प्रयासों का हिस्सा है, लेकिन त्योहार के मौसम को ध्यान में रखते हुए हमने यह विशेष अभियान चलाया ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”

Bannerghatta National Park में वन्यजीव संरक्षण के लिए Anti-Snare Campaign

बन्नरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, जो कर्नाटक का प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट है, नियमित रूप से वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation) के लिए विभिन्न अभियान चलाता है। यह पार्क बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी और कई अन्य दुर्लभ प्रजातियों का घर है। ऐसे में एंटी-स्नेयर जैसे अभियान वन्यजीवों की सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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