Bannerghatta National Park

Bannerghatta National Park में भालू की पहली आर्टिफिशियल पैर सर्जरी सफल

Bengaluru: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित Bannerghatta National Park ने विश्व स्तर पर इतिहास रच दिया है। यहां भालू संरक्षण केंद्र (Bear Conservation Center) में पहली बार एक भालू की कृत्रिम पैर (Artificial Leg) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। ‘वसिकरण’ नामक इस भालू की सर्जरी को दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला माना जा रहा है, जिसने वन्यजीव चिकित्सा और संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोल दिया है।

वसिकरण की दर्दभरी कहानी

भालू वसिकरण को साल 2019 में बेल्लारी ज़िले से बचाया गया था। वह शिकारियों के फंदे में फँस गया था, जिससे उसके पिछले बाएँ पैर की हड्डी टूट गई थी और आगे का बायां पैर बुरी तरह घायल हो गया था। लंबे समय तक इलाज के बावजूद उसकी चलने-फिरने की क्षमता काफी सीमित हो गई थी। भालू को तीन पैरों के सहारे जीवन बिताना पड़ रहा था। इस वजह से वह प्राकृतिक गतिविधियाँ जैसे पेड़ पर चढ़ना, मिट्टी खोदना और स्वतंत्र रूप से घूमना नहीं कर पा रहा था।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ की भूमिका

जनवरी 2025 में अमेरिका के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डेरिक कैमपाना (Derrick Kampana) ने बैनरघट्टा नेशनल पार्क का दौरा किया। वे जानवरों के लिए कृत्रिम अंग बनाने के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। वसिकरण की चाल को देखने के बाद उन्होंने उसके लिए एक विशेष कृत्रिम पैर डिजाइन करने का निर्णय लिया।

डेरिक कैमपाना ने कहा –
“अपने काम में जानवर मुझे बहुत कुछ सिखाते हैं। लेकिन वसिकरण का केस बेहद अलग था। भालू के लिए कृत्रिम पैर बनाना बड़ी चुनौती थी। जब मैंने उसे इस पैर के साथ चलते, खोदते और पेड़ पर चढ़ते देखा तो लगा कि हमारी मेहनत सफल हुई है।”

तीन दिन की चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया

पूरी प्रक्रिया तीन दिन चली। सबसे पहले भालू के पैर का मोल्ड बनाया गया, फिर कृत्रिम पैर को बार-बार टेस्ट करके उसकी चाल और मूवमेंट के अनुसार एडजस्ट किया गया। अंततः जब वसिकरण ने इस पैर के साथ पहली बार कदम उठाए, तो उसकी चाल बिल्कुल सामान्य थी। यह नज़ारा देखकर पार्क के कर्मचारी, डॉक्टर और विशेषज्ञ भी दंग रह गए।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

बैनरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क के कार्यकारी निदेशक ए.वी. सूर्यसेन ने इस उपलब्धि को विज्ञान और संरक्षण की अद्भुत मिसाल बताया। उन्होंने कहा –
“यह विकास इस बात का सबूत है कि विज्ञान, खोज और संरक्षण की भावना एक साथ मिलकर जानवरों की भलाई के लिए चमत्कार कर सकती है।”

वहीं, वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS) ने इस सर्जरी को ऐतिहासिक करार दिया। संगठन के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा –
“जब वसिकरण ने पहली बार कृत्रिम पैर के साथ सामान्य रूप से चलना शुरू किया तो यह हम सबके लिए आश्चर्यजनक क्षण था। यह पैर उसके जीवन का दूसरा मौका है।”

चिकित्सकीय महत्व

वन्यजीव चिकित्सकों का मानना है कि यह उपलब्धि केवल एक भालू तक सीमित नहीं है, बल्कि चिकित्सा विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर है।
डॉ. अरुण शाह, वरिष्ठ पशु-चिकित्सक, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा –
“कृत्रिम पैर ने न सिर्फ वसिकरण की चाल को सुधारा है, बल्कि उसके भविष्य को भी सुरक्षित किया है। तीन पैरों पर चलने से उसकी रीढ़ और घुटनों पर दबाव पड़ रहा था, जिससे वह तनाव और दर्द में रहता था। अब इस प्रॉस्थेटिक से उसका बोझ हल्का हुआ है।”

वैश्विक स्तर पर महत्व

इस केस को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। यह सफलता उन जानवरों के लिए उम्मीद की किरण है जो मानव हस्तक्षेप, शिकार या दुर्घटनाओं के कारण स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं। अधिकारी मानते हैं कि यह केस आने वाले वर्षों में दुनियाभर के वन्यजीव केंद्रों के लिए प्रेरणा का काम करेगा।

Bannerghatta National Park की बढ़ती पहचान

बैनरघट्टा नेशनल पार्क पहले से ही जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन वसिकरण के इस मामले ने इसे एक नई वैश्विक पहचान दिलाई है। अब यह पार्क सिर्फ वन्यजीव पर्यटन का केंद्र ही नहीं, बल्कि आधुनिक पशु-चिकित्सा और संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी संस्था भी बन गया है।

वसिकरण की नई जिंदगी

आज वसिकरण फिर से स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। वह मिट्टी खोदता है, पेड़ों पर चढ़ता है और प्राकृतिक व्यवहारों का आनंद लेता है। जो भालू कभी चलने के लिए संघर्ष करता था, अब वह फिर से अपने जीवन का आनंद उठा रहा है। उसके लिए यह कृत्रिम पैर केवल एक चिकित्सा उपकरण नहीं, बल्कि आज़ादी और खुशहाली की नई राह है।

मुख्य जानकारी तालिका

विषयविवरण
घटनाभालू की दुनिया की पहली सफल आर्टिफिशियल पैर सर्जरी
स्थानBear Conservation Center, Bannerghatta National Park, बेंगलुरु
भालू का नामवसिकरण
बचाव वर्ष2019, बेल्लारी जिला से
विशेषज्ञडेरिक कैमपाना (अमेरिका)
सहयोगी संस्थाएँकर्नाटक वन विभाग, वाइल्डलाइफ एसओएस
सर्जरी अवधितीन दिन
परिणामभालू की सामान्य चाल और प्राकृतिक व्यवहार की वापसी

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निष्कर्ष

Bannerghatta National Park में हुई यह ऐतिहासिक सर्जरी दुनिया को दिखाती है कि जब विज्ञान, करुणा और संरक्षण की भावना साथ आती है, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। वसिकरण की यह सफलता न केवल चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धि है बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच सामंजस्य का प्रतीक भी है। आने वाले समय में यह केस उन हजारों वन्यजीवों के लिए नई उम्मीद जगाएगा, जो स्थायी चोटों या विकलांगता से जूझ रहे हैं।

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