Vantara-Elephant Mahadevi एक बार फिर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी विवादों के केंद्र में है।
गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के Vantara Wildlife Rescue and Rehabilitation Centre से बंदी हाथियों को वापस भेजने की मांग वाली याचिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे “पूरी तरह अस्पष्ट” कहा। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस मामले में Vantara को भी पक्षकार बनाए, तभी आगे सुनवाई होगी।
Vantara क्या है?
Vantara, जामनगर (गुजरात) में स्थित एक विशाल वन्यजीव बचाव, पुनर्वास और देखभाल केंद्र है।
यहाँ हाथियों, शेरों, विदेशी पक्षियों और अन्य जंगली जानवरों को बचाकर लाया जाता है।
केंद्र खुद को पशु कल्याण के लिए समर्पित बताता है, लेकिन वर्षों से इस पर कई पशु अधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं: खासकर यहाँ रखे गए जानवरों की उत्पत्ति और लाने की प्रक्रिया पर।
याचिका में लगाए गए मुख्य आरोप
यह याचिका अधिवक्ता सी.आर. जया सुकीन ने दाखिल की, जिन्होंने खुद अदालत में अपनी बात रखी।
उन्होंने मांग की कि एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि Vantara में रखे गए बंदी हाथियों को उनके “मालिकों” को वापस किया जाए।
साथ ही, उन्होंने व्यापक आदेश की मांग करते हुए कहा कि Vantara में रखे सभी जंगली जानवर और पक्षी — चाहे वे भारत के हों या विदेशी प्रजाति के — जंगल में छोड़ दिए जाएं।
याचिका में लगाए गए आरोपों में शामिल हैं:
- कई बंदी हाथियों को मंदिरों और निजी मालिकों से जबरन लिया गया।
- Vantara में लुप्तप्राय प्रजातियों को रखा गया है, जिनमें से कुछ विदेश से भी लाई गईं।
- इन जानवरों को “बचाव और पुनर्वास” के नाम पर लाया गया।
- कुछ राज्य अधिकारियों को या तो धमकाया गया या लाभ देकर समझौता कराया गया ताकि ये स्थानांतरण हो सकें।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने याचिका की पेशी के दौरान गंभीर आपत्ति जताई।
जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन Vantara को केस में पक्षकार नहीं बनाया।
“आप उन पक्षों पर आरोप लगा रहे हैं जो यहाँ मौजूद नहीं हैं। आपने उन्हें प्रतिवादी नहीं बनाया है। पहले आप उन्हें जोड़िए, फिर हम सुनेंगे,” -सुप्रीम कोर्ट बेंच
अदालत ने सुकीन को आदेश दिया कि वे Vantara को प्रतिवादी बनाकर संशोधित याचिका दाखिल करें।
इसके बाद अगली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को होगी।
केस की संक्षिप्त जानकारी
केस टाइटल | याचिकाकर्ता | प्रतिवादी | केस नंबर | अगली सुनवाई की तारीख |
---|---|---|---|---|
C.R. Jaya Sukin v. Union of India & Ors. | अधिवक्ता सी.आर. जया सुकीन | भारत सरकार, अन्य, और (जोड़े जाने वाले) Vantara | W.P.(C) No. 783/2025 | 25 अगस्त 2025 |
Dev Sharma v. Union of India (साथ टैग किया गया केस) | देव शर्मा | भारत सरकार | W.P.(C) No. 779/2025 | 25 अगस्त 2025 |
Elephant Mahadevi विवाद से जुड़ाव
हालाँकि सुकीन की याचिका का मुख्य फोकस बंदी हाथियों पर है, यह मामला Elephant Mahadevi विवाद से भी जुड़ा है।
महादेवी महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक मंदिर की हाथी है, जिसकी गुजरात स्थानांतरण की खबर ने इस साल की शुरुआत में भारी विरोध और कानूनी याचिकाओं को जन्म दिया था।
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि मंदिर हाथियों को हटाना धार्मिक, सांस्कृतिक और पशु अधिकारों के खिलाफ है।
वहीं, समर्थकों का तर्क है कि Vantara जैसे केंद्र इन हाथियों को बेहतर चिकित्सा, पोषण और प्राकृतिक वातावरण देते हैं, जो शहरी मंदिरों में संभव नहीं है।
याचिकाकर्ता की प्रमुख मांगें
सुकीन ने अपनी याचिका में निम्नलिखित मांगे रखी हैं:
- मॉनिटरिंग कमेटी का गठन
- जो Vantara में रखे बंदी हाथियों को उनके मूल मालिकों को वापस करने की प्रक्रिया देखे।
- सभी जानवरों और पक्षियों का बचाव
- लुप्तप्राय और विदेशी प्रजातियों सहित।
- इन्हें जंगल में छोड़ा जाए।
- कानूनी उल्लंघनों की जांच
- वन्यजीव स्थानांतरण में हुई संभावित अवैध गतिविधियों की जाँच।
- राज्य और केंद्र के वन्यजीव अधिकारियों की भूमिका की जांच।
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई
- उन पर कार्रवाई, जिन्होंने समझौता किया या धमकियों के आगे झुके।
वन्यजीव कार्यकर्ताओं की चिंताएँ
पशु संरक्षण संगठनों के बीच इस याचिका को लेकर अलग-अलग राय है।
कुछ लोग कानूनी पारदर्शिता की मांग का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य चेतावनी देते हैं कि कैद में पले जानवरों को सीधे जंगल में छोड़ना उनके लिए खतरनाक हो सकता है।
प्रमुख चिंताएँ:
- जंगल में अनुकूलन: मंदिरों या मानव आबादी में पले हाथी जंगल में जीवित रहना मुश्किल समझ सकते हैं।
- कानूनी अनुपालन: राज्यों के बीच पशु स्थानांतरण के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और CITES नियमों का पालन जरूरी है।
- पुनर्वास केंद्रों की भूमिका: कई विशेषज्ञ मानते हैं कि Vantara जैसे केंद्र उन जानवरों के लिए जरूरी हैं जिन्हें बीमारी, उम्र या व्यवहार के कारण जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता।
Vantara का रुख
फिलहाल Vantara ने इस मामले में अदालत में कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया है, क्योंकि अभी तक वह केस में पक्षकार नहीं है।
हालाँकि, पहले दिए गए बयानों में केंद्र ने कहा है:
- सभी बचाव अभियान कानूनी तरीके से और राज्य वन विभाग के साथ मिलकर किए जाते हैं।
- जानवरों को बेहतर चिकित्सा, पौष्टिक आहार और सुरक्षित स्थान दिया जाता है।
- उद्देश्य पुनर्वास और दीर्घकालिक देखभाल है, न कि शोषण।
कानूनी पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट को कई बार हाथियों की देखभाल और उनके धार्मिक या पर्यटन उपयोग से जुड़े मामलों में निर्णय देने पड़े हैं।
अदालत ने बार-बार वन्यजीव संरक्षण कानूनों का पालन करने और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संतुलन रखने की आवश्यकता बताई है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को:
- हाथियों और अन्य जानवरों के Vantara स्थानांतरण की वैधता जांचनी होगी।
- राज्य और केंद्र के अधिकारियों की भूमिका का आकलन करना होगा।
- याचिकाकर्ता की मांगों की व्यावहारिकता और पशु कल्याण पर प्रभाव को देखना होगा।
घटनाक्रम की समयरेखा
तारीख | घटना |
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2025 की शुरुआत | हाथी महादेवी समेत कई हाथियों के मंदिरों से Vantara भेजे जाने की खबरें सामने आईं। |
अगस्त 2025 (शुरुआत) | इन स्थानांतरणों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दाखिल हुईं। |
14 अगस्त 2025 | सुप्रीम कोर्ट ने सुकीन की याचिका को “पूरी तरह अस्पष्ट” कहा और Vantara को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। |
25 अगस्त 2025 | अगली सुनवाई की तारीख। |
आगे क्या होगा?
25 अगस्त 2025 को याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका दाखिल करनी होगी जिसमें Vantara को प्रतिवादी बनाया जाए।
इसके बाद अदालत:
- दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी।
- मॉनिटरिंग कमेटी बनाने पर फैसला करेगी।
- संभावित अवैध स्थानांतरण की जांच के आदेश दे सकती है।
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इस केस का महत्व
Vantara-Elephant Mahadevi विवाद केवल एक बचाव केंद्र या कुछ हाथियों तक सीमित नहीं है।
यह बड़े सवाल उठाता है जैसे:
- वन्यजीव अधिकार बनाम मानव परंपराएँ
- बचाव अभियानों में पारदर्शिता
- पशु कल्याण में निजी संस्थाओं की भूमिका
- अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव समझौतों का पालन
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले समय में वन्यजीव नीतियों और बड़े निजी अभयारण्यों की भूमिका को प्रभावित कर सकता है।