Alipore Zoological Garden

देश के सबसे पुराने चिड़ियाघर Alipore Zoological Garden से एक रात में 321 जानवर ‘गायब’, मचा हड़कंप

Alipore Zoological Garden, जिसे कोलकाता चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे पुराना चिड़ियाघर है। इसकी स्थापना वर्ष 1876 में हुई थी और यह न सिर्फ अपनी ऐतिहासिक विरासत बल्कि 250 साल तक जीवित रहने वाले कछुए ‘अद्वैता’ के लिए भी प्रसिद्ध है। लेकिन अब यह ऐतिहासिक स्थल एक बड़ी और चौंकाने वाली घटना के चलते चर्चा में है। बताया जा रहा है कि एक ही रात में यहां से 321 जानवर रहस्यमय तरीके से ‘गायब’ हो गए हैं, जिससे राज्य भर में हड़कंप मच गया है।

रिकॉर्ड से अचानक गायब हुए 321 जानवर

Alipore Zoological Garden
Alipore Zoological Garden

यह मामला पश्चिम बंगाल के Alipore Zoological Garden से जुड़ा हुआ है, जहां के रिकॉर्ड में दर्ज 672 जानवरों की संख्या एक ही दिन में घटकर 351 रह गई। यानी कि 31 मार्च 2024 को वित्त वर्ष खत्म होते-होते यहां 672 जानवर मौजूद थे, लेकिन 1 अप्रैल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, संख्या सिर्फ 351 रही। इसका मतलब है कि 24 घंटे में 321 जानवरों की जानकारी रिकॉर्ड से ‘गायब’ हो गई

NGO ने उठाई आवाज, कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

कोलकाता स्थित एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) ‘स्वजन’ ने इस गंभीर मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। NGO का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर जानवरों का अचानक लापता होना सिर्फ लापरवाही ही नहीं, बल्कि तथ्यों को छिपाने का प्रयास भी हो सकता है। उन्होंने कोर्ट से इस मामले में तत्काल ऑडिट की मांग की है।

लुप्तप्राय प्रजातियों के नाम भी गायब

इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि जिन 321 जानवरों के नाम रिकॉर्ड से हटाए गए हैं, उनमें कुछ लुप्तप्राय (extinct) प्रजातियों के भी नाम शामिल हैं। NGO का दावा है कि प्रशासन ने इस बड़ी घटना की कोई जानकारी न राज्य स्तर पर दी, न राष्ट्रीय स्तर पर। न ही प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई और न ही जनता को सूचित किया गया।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है जब Alipore Zoological Garden की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। NGO स्वजन का कहना है कि 3 मार्च 2011 को इस चिड़ियाघर में 1452 जानवर मौजूद थे, लेकिन 31 मार्च 2024 तक यह संख्या घटकर सिर्फ 672 रह गई। यानी बीते एक दशक में 780 से अधिक जानवरों की कमी देखी गई है।

यहां तक कि 2017-18 में जब Central Zoo Authority (CZA) ने ऑडिट किया, तब 31 मार्च 2017 को जानवरों की संख्या 1186 थी। लेकिन अगली ही तारीख, 1 अप्रैल 2017 को यह संख्या घटकर 910 रह गई। इसी प्रकार, वर्ष 2022 में भी एक ही दिन में 190 जानवरों के रिकॉर्ड से गायब होने की जानकारी सामने आई थी।

Alipore Zoological Garden की ऐतिहासिक पहचान

भारत का यह सबसे पुराना चिड़ियाघर, Alipore Zoological Garden, कोलकाता शहर के दिल में स्थित है और 1876 में इसकी स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। यह चिड़ियाघर पिछले वर्ष अपनी 150वीं वर्षगांठ भी मना चुका है। यह न सिर्फ पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और प्रजाति संवर्धन के लिहाज़ से भी एक अहम संस्थान है।

यहां पर 128 से अधिक प्रजातियों के जानवरों को देखा जा सकता है, जिनमें से 39 स्तनधारी (mammals) प्रजातियां हैं। साथ ही, यह वही जगह है जहां अद्वैता नामक कछुआ रहा करता था, जिसकी आयु 250 साल मानी जाती है और जो जीवित रहते हुए दुनियाभर में चर्चा में रहा।

राज्य सरकार और प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले में अब तक राज्य सरकार या चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। न ही यह बताया गया है कि ये जानवर वास्तव में कहां गए या फिर रिकॉर्ड में से नाम क्यों और कैसे हटा दिए गए। ऐसी स्थिति में यह मामला और भी रहस्यमय बन गया है।

अब क्या होगा?

अब सबकी निगाहें कलकत्ता हाईकोर्ट की कार्यवाही पर टिकी हुई हैं, जहां NGO द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी है। अगर कोर्ट इस पर सख्ती से कार्रवाई करता है, तो यह न केवल Alipore Zoological Garden बल्कि देश के अन्य चिड़ियाघरों के लिए भी एक चेतावनी साबित हो सकती है कि पारदर्शिता और निगरानी बेहद ज़रूरी है।

Alipore Zoological Garden: प्रमुख तथ्य

विशेषताविवरण
स्थानकोलकाता, पश्चिम बंगाल
स्थापना वर्ष1876
प्रमुख प्राणीअद्वैता कछुआ (250 वर्ष आयु)
कुल प्रजातियाँ128+
स्तनधारी जानवर39+
चर्चित मामला2024 में 321 जानवरों का रिकॉर्ड से गायब होना
पर्यवेक्षण संस्थाCentral Zoo Authority (CZA)

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निष्कर्ष

Alipore Zoological Garden जैसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक चिड़ियाघर से इतनी बड़ी संख्या में जानवरों का अचानक रिकॉर्ड से गायब होना बेहद गंभीर और चिंताजनक घटना है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति हमारी जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है। ज़रूरत इस बात की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सज़ा मिले, ताकि भविष्य में ऐसे किसी भी संस्थान में पारदर्शिता बनी रहे।

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