भारत अपने ऐतिहासिक किलों और समृद्ध विरासत के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। हाल ही में एक और गौरवशाली उपलब्धि भारत के हिस्से में आई है, जब UNESCO ने भारत के 12 प्रमुख किलों को “मराठा मिलिटरी लैंडस्केप्स ऑफ इंडिया” के अंतर्गत विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में शामिल कर लिया है। यह भारत की 44वीं विश्व धरोहर साइट बन गई है।
इन किलों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। मराठा साम्राज्य द्वारा बनाए गए ये किले न केवल उनकी सैन्य रणनीति का प्रतीक हैं, बल्कि यह भारत की प्राचीन वास्तुकला और स्वराज्य के गौरव की निशानी भी हैं।

मराठा किले क्यों हैं खास?
मराठा साम्राज्य को उसकी साहसी सैन्य रणनीति, युद्ध कौशल और मजबूत प्रशासनिक प्रणाली के लिए जाना जाता है। मुगलों और अन्य आक्रांताओं के खिलाफ मराठाओं ने जिस साहस और सूझबूझ से लड़ाइयाँ लड़ीं, उसकी झलक इन किलों में साफ दिखाई देती है।
इन किलों का निर्माण न केवल रक्षा के लिए किया गया था, बल्कि ये प्रशासन, व्यापार, संस्कृति और जीवनशैली का भी केंद्र रहे हैं। यही कारण है कि इन्हें आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक किलों में गिना जाता है।
UNESCO की सूची में शामिल हुए 12 प्रमुख किले
11 जुलाई 2025 को UNESCO ने भारत के निम्नलिखित 12 मराठा किलों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया:
क्रमांक | किले का नाम | राज्य |
---|---|---|
1 | साल्हेर किला | महाराष्ट्र |
2 | शिवनेरी किला | महाराष्ट्र |
3 | लोहागढ़ किला | महाराष्ट्र |
4 | खंडेरी किला | महाराष्ट्र |
5 | रायगढ़ | महाराष्ट्र |
6 | राजगढ़ | महाराष्ट्र |
7 | प्रतापगढ़ | महाराष्ट्र |
8 | सुवर्णदुर्ग | महाराष्ट्र |
9 | पन्हाला किला | महाराष्ट्र |
10 | विजयदुर्ग | महाराष्ट्र |
11 | सिंधुदुर्ग | महाराष्ट्र |
12 | जिंजी किला | तमिलनाडु |
इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में स्थित हैं जबकि जिंजी किला तमिलनाडु में स्थित है, जो इस सूची में शामिल एकमात्र दक्षिण भारतीय किला है।
क्यों खास है जिंजी किला?
जिंजी किला (Gingee Fort) को छत्रपति शिवाजी महाराज ने “भारत का अभेद्य किला” कहा था। यह किला तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित है और अपनी विशालता व अजेयता के लिए जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने इस किले पर कब्जा करने के लिए लगभग 8 वर्षों तक संघर्ष किया था।
यह किला तीन प्रमुख हिस्सों में विभाजित है:
- राजगिरि (Rajagiri)
- कृष्णगिरि (Krishnagiri)
- चंद्रायण दुर्ग (Chandrayandurg)
इस किले का निर्माण 9वीं शताब्दी में कोंगी राजवंश ने किया था। इसके बाद चोल, विजयनगर, मराठा, मुगल, कर्नाटक के नवाब, फ्रांसीसी और अंत में ब्रिटिश साम्राज्य ने इस पर शासन किया।
महाराष्ट्र के किलों की भव्यता
महाराष्ट्र की धरती पर स्थित ये किले समुद्र तट से लेकर पहाड़ी इलाकों तक फैले हुए हैं। जैसे:
- रायगढ़ किला, छत्रपति शिवाजी महाराज का राजधानी किला था।
- प्रतापगढ़, जहां शिवाजी और अफजल खान की ऐतिहासिक भेंट हुई थी।
- विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग, समुद्र के किनारे स्थित मजबूत किले जो नौसैनिक शक्ति का प्रतीक रहे।
इन सभी किलों ने न केवल ऐतिहासिक लड़ाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने व्यापार, प्रशासन और सांस्कृतिक विकास में भी योगदान दिया।
इन किलों का UNESCO में शामिल होना क्यों जरूरी है?
भारत की ऐतिहासिक धरोहरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलना हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। यह न केवल हमारे इतिहास और संस्कृति को संरक्षण प्रदान करता है, बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह एक सकारात्मक कदम है।
विश्व धरोहर सूची में शामिल होना इन धरोहर स्थलों को वैश्विक स्तर पर संरक्षण और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता दिलाने का मार्ग भी खोलता है।
निष्कर्ष
भारत के ये 12 प्रमुख किले इतिहास, संस्कृति, शौर्य और वास्तुकला का अद्वितीय संगम हैं। इनके यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से यह स्पष्ट होता है कि भारत की विरासत आज भी उतनी ही मूल्यवान और प्रेरणादायक है जितनी अतीत में थी।
अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं या देश की गौरवशाली विरासत को करीब से देखना चाहते हैं, तो इन किलों की यात्रा जरूर करें। ये न केवल देशभक्ति की भावना जगाते हैं, बल्कि हमें हमारे अतीत से जोड़ते हैं।