Panna Tiger Reserve

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी ‘वत्सला’ का अद्भुत जीवन: Panna Tiger Reserve की गर्वगाथा

Panna Tiger Reserve की गोद में बीते लंबे समय से एक ऐसी हथिनी रह रही थी, जिसकी उम्र और अनुभव ने उसे न सिर्फ जंगल का मार्गदर्शक बनाया, बल्कि वह अपने व्यवहार और भूमिका से सभी के दिलों में बस गई थी। हम बात कर रहे हैं वत्सला की — एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी, जिसकी उम्र 100 वर्ष से भी अधिक थी। 8 जुलाई को वत्सला ने अपनी अंतिम सांस ली, जिससे पूरे Panna Tiger Reserve और वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई।

Panna Tiger Reserve

नेतृत्व करने वाली ‘नानी-दादी’

वत्सला का स्वभाव मातृत्व और मार्गदर्शन से भरा हुआ था। वह न केवल अपने झुंड की वरिष्ठ सदस्य थी, बल्कि हर नई हथिनी के जन्म और बच्चों के आने पर वह उनके लिए एक ‘दादी’ या ‘नानी’ की भूमिका निभाती थी। वह युवा हथिनियों को संरक्षण, देखभाल और सामूहिक व्यवहार के गुर सिखाती थी, जो जंगल के जीवन में बेहद जरूरी माने जाते हैं। Panna Tiger Reserve में उसे एक सच्चे संरक्षक के रूप में देखा जाता था।

थिएटर और फिल्मों में भी निभाई थी भूमिका

Panna Tiger Reserve

वत्सला की पहचान केवल जंगल तक सीमित नहीं रही। वह एक प्रशिक्षित हथिनी थी और कई बार स्थानीय फिल्म और थिएटर प्रस्तुतियों में भी उसने भाग लिया था। वहाँ भी वह अपने धैर्य, संतुलन और अनुशासन के कारण सबसे अलग नजर आती थी।

मौत से पहले की स्थिति और देखभाल

वत्सला की अंतिम अवस्था में, Panna Tiger Reserve के हिनौता रेंज के पास एक खनन क्षेत्र के पास उसके आगे के पैरों में कमजोरी आ गई थी। उसके घुटनों में चोट लगने के बाद वह उठ नहीं पा रही थी। वन विभाग की टीम ने उसे उठाने के कई प्रयास किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। अंततः 8 जुलाई को वह शांत हो गई। उसकी मौत के बाद पूरे सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया।

Panna Tiger Reserve में था विशेष स्थान

वत्सला को पहले केरल के अलास्कापुरम से लाया गया था और बाद में उसे मध्य प्रदेश के Panna Tiger Reserve में स्थानांतरित किया गया। वृद्ध होने के कारण वह ज्यादा चल फिर नहीं पाती थी, लेकिन फिर भी वह हाथी कैम्प में रखी गई और हर दिन उसे स्नान के लिए नदी तक ले जाया जाता था। उसे खास भोजन दिया जाता था और उसका स्वास्थ्य परीक्षण नियमित रूप से होता था।

स्वास्थ्य देखभाल और दीर्घायु जीवन

Panna Tiger Reserve के वन्य जीव चिकित्सकों और विशेषज्ञों की टीम द्वारा समय-समय पर वत्सला की चिकित्सकीय जांच की जाती थी। इसी कारण से वह इतने कठिन और शुष्क वन क्षेत्र में भी 100 साल से अधिक की उम्र तक जीवित रह सकी। यह न सिर्फ उनके देखभाल की गुणवत्ता को दर्शाता है, बल्कि वत्सला की मजबूत जीवनी शक्ति को भी दर्शाता है।

बाघ पुनर्स्थापना में भी निभाई भूमिका

Panna Tiger Reserve में जब बाघों की पुनर्स्थापना योजना लागू की गई, तो वत्सला ने उसमें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक शांत और स्थिर हाथी होने के कारण, नए बाघों के पर्यावरण में समायोजन के दौरान कई बार वन विभाग की सहायता करती थी।

गिनीज बुक में दर्ज हो सकता है नाम

वत्सला की उम्र और उसका जीवन इतना असाधारण था कि अब Panna Tiger Reserve प्रबंधन उसके नाम को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करवाने का विचार कर रहा है। यदि यह संभव होता है, तो यह मध्य प्रदेश और भारत के लिए गर्व का विषय होगा।

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निष्कर्ष:
वत्सला न केवल एक हथिनी थी, बल्कि वह Panna Tiger Reserve की परंपरा, इतिहास और भावना की जीती-जागती मिसाल थी। उसका शांत स्वभाव, नेतृत्व क्षमता और लम्बी उम्र उसे एक विशेष दर्जा दिलाता है। उसकी यादें इस रिजर्व में हमेशा जीवित रहेंगी।

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