Vantara और दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क (NZP) के बीच हुए हालिया समझौता ज्ञापन (MoU) को लेकर उठी आलोचनाओं पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस साझेदारी को पूरी तरह वैज्ञानिक और संरक्षण आधारित पहल बताते हुए इसे “आदतन संदेह करने वालों” की प्रतिक्रिया करार दिया।
यह साझेदारी क्यों की गई है?
मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि यह सहयोग एक सामान्य ज़ूलॉजिकल प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है:
- पशु संरक्षण को बढ़ावा देना
- वैज्ञानिक अनुसंधान को सशक्त बनाना
- पशु कल्याण में सुधार
- स्टाफ ट्रेनिंग को आधुनिक बनाना
उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने विस्तृत बयान में कहा कि कुछ लोग हर बात पर जनता में संदेह पैदा करना अपनी आदत बना चुके हैं।
पहले भी हुए हैं ऐसे सहयोग
मंत्री ने बताया कि नेशनल जूलॉजिकल पार्क और सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी समय-समय पर देश के विभिन्न चिड़ियाघरों, विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संस्थानों के साथ सहयोग करते रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी 2021 में NZP ने ग्रीन्स जूलॉजिकल एंड रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC), जामनगर के साथ भी ऐसा ही एक समझौता किया था। अब यह समझौता भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपडेट किया गया है।
Vantara की भूमिका और क्षमताएं
Vantara, जो जामनगर (गुजरात) में स्थित है, पशु स्वास्थ्य, रेस्क्यू, पुनर्वास और प्राकृतिक आवासों के संवर्धन के क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित कर चुका है।
वहीं दूसरी ओर, दिल्ली का नेशनल जूलॉजिकल पार्क बीते 60 वर्षों से लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन और देखभाल में विशेषज्ञता हासिल कर चुका है और अब वह अपनी सुविधाओं का आधुनिकीकरण करना चाहता है।
नया समझौता किन बातों पर केंद्रित है?
अद्यतन MoU निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित करेगा:
- पशु चिकित्सकीय सहायता
- आधुनिक बाड़े (एंक्लोज़र) की डिज़ाइन
- संरक्षण शिक्षा
- तकनीकी स्टाफ का प्रशिक्षण और विकास
राजनीतिक प्रतिक्रिया और मंत्री का स्पष्टीकरण
इस समझौते पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चिंता जताई है। उन्होंने पूछा कि क्या यह चुपचाप किया गया एक ऐसा कदम है जो चिड़ियाघर के निजीकरण की ओर ले जाएगा। रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार की पारदर्शिता पर विश्वास करना मुश्किल है और यह कदम प्राइवेट एंटरप्राइज को सौंपने की दिशा में पहला पड़ाव हो सकता है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री यादव ने कहा कि NZP पहले भी कई संगठनों के साथ सहयोग कर चुका है और भविष्य में भी करता रहेगा। उन्होंने आलोचनाओं को “गुमराह करने वाला” बताया और कहा कि ऐसे सहयोग जरूरी हैं ताकि चिड़ियाघरों में पशु देखभाल के मानकों को बेहतर बनाया जा सके और पारदर्शिता बनाए रखते हुए संचालन को आधुनिक बनाया जा सके।
Vantara का स्पष्टीकरण
Vantara के अधिकारियों ने भी स्पष्ट किया है कि इस समझौते में किसी प्रकार का प्रशासनिक नियंत्रण या मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं किया गया है। यह केवल सार्वजनिक हित में एक सहयोगात्मक पहल है जिसका उद्देश्य जानवरों की भलाई और संरक्षण को बढ़ावा देना है।
मुख्य जानकारी सारणीबद्ध रूप में:
विषय | विवरण |
---|---|
सहयोगी संस्थान | National Zoological Park, Delhi और Vantara (GZRRC, Jamnagar) |
MoU का उद्देश्य | पशु संरक्षण, अनुसंधान, वेलफेयर और स्टाफ ट्रेनिंग |
पहली साझेदारी | जनवरी 2021 में GZRRC के साथ |
अद्यतन MoU के क्षेत्र | वेटरिनरी सपोर्ट, बाड़ा डिज़ाइन, संरक्षण शिक्षा, स्टाफ डेवलपमेंट |
राजनीतिक आलोचना | जयराम रमेश द्वारा निजीकरण की आशंका |
सरकारी प्रतिक्रिया | पारदर्शिता और सुधारात्मक उद्देश्य के तहत सहयोग |
Vantara की भूमिका | टेक्निकल, मेडिकल, रेस्क्यू और पुनर्वास में सहायता, प्रशासनिक अधिकार नहीं |
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निष्कर्ष
Vantara और दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क के बीच हुआ यह समझौता केवल एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसका उद्देश्य चिड़ियाघरों की कार्यप्रणाली को आधुनिक बनाना, पशु कल्याण को बेहतर करना और संरक्षण कार्यों को मजबूती देना है। इस साझेदारी में किसी भी प्रकार का निजीकरण या प्रशासनिक नियंत्रण का स्थानांतरण शामिल नहीं है।
राजनीतिक आलोचनाओं के बावजूद, यह पहल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और इससे भारत में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे सहयोग भविष्य में भी जारी रहेंगे, जिससे हमारे चिड़ियाघर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ और अधिक प्रभावशाली बन सकें।